“शायर कोई मैं खुदको कहता नहीं,
बस मेरे लफ्ज़ लोगों को भा जाया करते हैं।
राहों पर मैं अक्सर अकेले ही निकलता हूँ;
महफ़िल जमाने लोग खुद ही आ जाया करते हैं।”
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“इन रातों से कोई शिकवा नहीं है,
अगर मैं चाँद हूँ तो मेरा नूर तुम हो।
नहीं कोई गिला इन दूरियों से भी मुझे;
इन्हीं दूरियों से हैं सफ़र के रास्ते, जिस सफ़र की मंज़िल तुम हो।”
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